Murgi palan loan दरभंगा के पुरा गांव में ग्रामीणों को मुर्गी एवं बकरी पालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे कम पूंजी कम जगह कम समय तथा कम मेंटेनेंस में ज्यादा आय संभव है। कम पढ़े-लिखे कोई भी ग्रामीण पुरुष महिलाएं एवं विशेष रूप से युवा आसानी से कर सकते हैं। इस दस दिवसीय प्रशिक्षण को प्राप्त कर लोग स्वरोगार कर सकते हैं।
Murgi palan loan
सदर प्रखंड के खुटवाड़ा पंचायत के पुरा गांव के 20 ग्रामीणों को ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान की ओर से मुर्गी एवं बकरी पालन का 10 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। मुख्य अतिथि के रूप में प्राध्यापक डा. आरएन चौरसिया ने मुर्गी एवं बकरी पालन व्यवसाय की सफलता के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। Murgi palan loan
कम पूंजी, कम जगह में अधिक आय
उन्होंने कहा कि मुर्गी एवं बकरी पालन से कम पूंजी, कम जगह, कम समय तथा कम मेंटेनेंस में ज्यादा आय संभव है। इसे कम पढ़े-लिखे कोई भी ग्रामीण पुरुष, महिलाएं एवं विशेष रूप से युवा आसानी से कर सकते हैं।
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फार्म हवादार एवं सुरक्षित हो, उसके पास पेड़-पौधे हो तथा आसपास पानी इकट्ठा न हो। सरकारें मुर्गी, बकरी पालन में दिलचस्पी रखने वाले बेरोजगारों को लगातार प्रशिक्षण तथा ऋण आदि देकर प्रोत्साहित कर रही हैं।
Murgi palan loan अधिक लाभ के लिए मुर्गियों एवं बकरियों की उचित देखभाल, संतुलित आहार, साफ एवं हवादार घर, अच्छी नस्ल तथा स्वच्छ जल की व्यवस्था बहुत जरूरी है।
किसानों के लिए यह है लाभदायक सौदा
डा. चौरसिया ने कहा कि फसलों के विविधीकरण एवं मिश्रित खेती में मुर्गी या बकरी पालन व्यवसाय भी किसानों के लिए काफी लाभदायक सौदा है। मुर्गी उत्पाद प्रोटीन का काफी सस्ता और अच्छा मध्यम है। देसी मुर्गी का अंडा उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत है। अंडे में भरपूर फैटी एसिड पाया जाता है, जो हृदय के लिए बेहतर है। यह लीवर हेल्थ के लिए भी बहुत अच्छा माना जाता है।
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मुख्य प्रशिक्षक ललित कुमार झा ने कहा कि मुर्गी, बकरी पालन का 10 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर लोग आसानी से स्वरोजगार प्रारंभ करें। विशेष रूप से 18 से 45 वर्ष के कोई भी गरीब महिला या युवा सरकार से ऋण लेकर भी अपना स्वरोजगार कर सकते हैं। Murgi palan loan नियमानुसार उन्हें सब्सिडी भी दी जाती है। डा. अंजू कुमारी ने स्वरोजगार के महत्व, मुर्गी तथा बकरी पालन के तौर- तरीकों की विस्तार से जानकारी दी।
मुर्गी पालक ने अनुभव किया साझा
पुरा गांव में 2017 से मुर्गी पालन कर रहे रंजीत कुमार ने अपने अनुभव को साझा किया। बताया कि डेढ़ कट्टे जमीन में लगभग दो हजार मुर्गियों के चूजों से प्रतिवर्ष छह- सात राउंड मुर्गी पालन कर रहा हूं। चूजे 37 दिनों में दो किलो से अधिक वजनी होकर बिक्री योग्य हो जाते हैं।
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Murgi palan loan इस व्यवसाय में कभी घाटा नहीं हुआ है। हर बार तीन लाख रुपये की दर से वार्षिक लाभ हुआ है। मुर्गी पालन में लगभग 70 प्रतिशत खर्चा आहार- व्यवस्था पर होता है। प्रशिक्षण में शामिल लोगों का स्वागत एवं संचालन आयोजक आस्थानन्द यादव ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन ललित कुमार ने किया।
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